Saturday, November 15, 2008

चार राज्यों में विधानसभा चुनाव

नवंबर माह में राजस्थान ,दिल्ली ,मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ विधानसभाओं के चुनाव होने वाले हैं ,२००३ में हुए पिछले चुनावों में जहां राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,छतीसगढ में भाजपा की सरकार बनी थी वहीं दिल्ली में कांग्रेस को सफलता मिली थी । राजस्थान में वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली भाजपा ने सरकार बनाई थी और कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पडा था । जहां भाजपा अपनी सरकार की ऊपलब्धियां गिना रही है वही कांग्रेस, सरकार को सारे मोर्चों पर विफल बता रही है । हालांकि चुनावों से पहले दोनों पार्टियों में गुटबाजी का शिकार होना पड रहा है जहां भाजपा में टिकट वितरण में इतनी मारा मारी रही कि सारे प्रमुख नेता अपने करीबियों को टिकट देने का दबाव पार्टी आलाकमान पर लगाते रहे कुछ सफल रहे तो कुछ असफल परिणाम स्वरुप कई नेता अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ खडे हो गए हैं और तो और पार्टी सांसद विश्वेन्द्र सिंह ने तो पार्टी बदल कर कांग्रेस में शामिल हो गए । वैसे कांग्रेस में भी स्थित लगभग यही रही जहां अशोक गहलोत अपने करीबियों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलवाने में लगे रहे तो बी.डी कल्ला और सी पी जोशी भी अपने स्तर से लगे रहे । जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं दोनो पार्टियां धुआंधार प्रचार कर रही जहां भाजपा की कमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने संभाल रखी है वहीं कांग्रेस की कमान अशोक गहलोत और बी डी कल्ला के हाथों में है । अब यह तो चुनाव के दिन ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा ।

मध्य प्रदेश - यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में है हालांकि बहुजन समाज पार्टी एवं भारतीय जन शकित मुकाबले को बहुकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे है । जहां भाजपा ने फिर से शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया है वही कांग्रेस में असंमजस की स्थित है क्योंकि इस पद के कई दावेदार हैं जिनमें प्रमुख हैं सुरेश पचोरी ,कमलनाथ, दिग्विजय सिंह आदि पर टिकट वितरण से यह साबित हो रहा है कि सुरेश पचोरी इसमें आगे चल रहें हैं क्योंकि सबसे ज्यादा इन्ही के समर्थकों को टिकट मिला है । बसपा एव भाजस ने भी अपने प्रत्याशी लगभग सारे सीटों पर दिए हैं । यहां मतदान दो चरणों में होंगे यह तो अब समय ही बताएगा कि बाजी किसके हाथ लगती है ।

दिल्ली - यहां कांग्रेस की सरकार पिछले दस वर्षों से है और उसे सरकार विरोधी लहर का भी सामना करना पड रहा है और वही भाजपा सीलिंग ,मंहगाई और आतंकवाद जैसे मुद्दों से कांग्रेस को घेर रही है । जहां कांग्रेस यह दावा कर रही है कि उसने काफी विकास कार्य किए हैं वहीं भाजपा का आरोप है कि सरकार ने जनता के साथ १० साल तक धोखा करती रही । भाजपा से प्रो.विजय कुमार मल्होत्र मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस से एक बार फिर श्रीमती शीला दिक्षित इसके लिए प्रत्याशी हैं । दिल्ली में २९ नंवबर को वोट डाले जाएगें और इसी दिन ऊम्मीदवारों का भविष्य मतपेटी में बंद हो जाएगा ।

छत्तीसगढ- यह नक्सल प्रभावित राज्य है और ऐसा माना जा रहा है कि यहां पर मतदान करवाना जम्मु एवं कश्मीर से भी मुश्किल है इसी लिए यहां पर १०० कंपनियां अर्धसैनिक बलों कि लगाई गई है क्योंकि यहां पर नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार की घोषना कर रखी है । यहां पर भी एक बार फिर से कांग्रेस एवं भाजपा के बीच है जहां कांग्रेस की कमान पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हाथों में है तो दुसरी ओर भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने संभाल रखी है । यहां पर विधानसभा की कुल ९० सीटों के लिए मतदान होना है सभी मतदान केन्द्रों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यव्स्था की गई है ।

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