Saturday, November 15, 2008

और भी दूं

मन समर्पित तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूं देश की धरती तूझे कुछ और भी दूं

मां तुम्हारा रिन बहुत है, मैं अकिंचन
किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाउं सजा कर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना यह समर्पण

गान अर्पित प्राण अर्पित
रक्त का कण कण समर्पित
चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

मांज दो तलवार , लाओं न देरीं
बांध दो कस कर कर कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो चरण की धुल थोडी
शीश पर आशीश की छाया घनेरी

स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित
आयु का छण छण समर्पित
चाहता हुं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

तोडता हुं मोह का बंधन, क्षमा दो
गांव मेरे, द्वार, घर, आंगन क्षमा दो
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो
और बाऐं हाथ में ध्वज थमा दो

यह सुमन लो, यह चमन लो
नीड का रिन रिन समर्पित
चाहता हुं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं

(राम अवतार त्यागी की कविता)

मीठा पानी

घर लौटकर मैंने पत्नी को बैग थमाया । मेरे हाथ में पानी की बोतल थी,वह भी साथ ही थमाई,पानी की बोतल में पानी देखकर वह हैरानी से बोली ,"अरे सुबह वाला पानी अभी तक बच रहा है? गर्मी तो बहुत थी पिया नही क्या?" अरे नही ,चंडीगढ बस स्टैंड पर कुछ समय के लिए बस रुकी थी ,यह तो वहां से दोबारा भरा हुआ है.
सुनते ही उसकी आंखों में चमक आ गई. , खुशी से चमकती हुई बोली , अहा चंडीगढ का पानी तो बहुत मीठा होता है
क्योंकि वहां तुम्हारा मायका है इसलिए ? मैने कहा तो वह इतराती हुई बोली, और क्या ! कहकर उसने ढक्कन खोला और बोतल मुंह से लगाकर गटगट पानी पीने लगी. मुझे तो ऐसा कोई फर्क लगा नहीं, मैनें कहा तो उसने सुना ही नही । मुझसे बेपरवाह वह पानी में मग्न ,उसकी मिठास में खो-सी गई ।
मेरा मन एकदम से कडवा हो गया कहे बिना न रह सका , कैसी औरत हो तुम जो शादी के दस साल बाद भी तुम्हें ससुराल के पानी की मिठास महसुस नही हुई । सुनते ही पानी उसके गले में में पानी अटक गया , बोतल मुंह से हटाकर पहले धीरे-धीरे पानी गटका फिर आहत स्वर में बोलीं, " मनोज ...ससुराल का पानी तो बहुत ही मिठा है ! ये तो आज अपने शहर का पानी देखा तो पीछे छुटा सब याद आ गया...! खैर ! छोडो, तुम नही समझोगे , मेरी आंखों में आंखें गडाती हुई वह रोषपूर्वक बोली थी, तुम कभी भी नही समझोगे ।

( अरुण कुमार की लघुकथा)

रिश्ते

उनके लिए रिश्ते
अखबार से ज्यादा कोई अहमियत नही रखते थे
जब तक ताजे थे डिमांड में थे
बासी होते ही
पुरानी तारीख की नाईं
कैलेंडर के सीने से उतर जाते थे

एक बार उन्होंने मुझे एक खत लिखा
खत में उन्होंने लिखा
कि मैं और वे एक ही वेवलेंथ पर धडकते थे
मैंने सोचा,सोचा ,बहुत सोचा
मुझॆ उनके कथन में सच्चाई नजर आई

वे बाजार के रंग में
होली के रंगो को डुबोते रहे
मैं स्याह गलियों और कूंचों में
टेशु के रंग तलाशती रही
और जल्दी ही बासी हो गई

उन्होंने रिश्तों की राख को एक कैप्सुल में बंद कर
औरबिट में भेज दिया
ताकि उसे चंद्रमा की सतह पर फैलाया जा सके
उन्होंने रिश्तों का एक नया इतिहास लिखा
जिसमें मरें हुए रिश्तों की शांति के लिए
दो मिनट का मौन शामिल था

(किरण अग्रवाल की कविता)

एक घर था

एक घर था
जिसमें रहते हुए
हम रहना नहीं चाहते थे उसमें

हम चाहते थे एक ऐसा घर
जिसमें हवा आती हो
रोशनी आती हो
और जिसकी खिडकियां
सपनों की राह न रोकती हों

हमें मिला भी एक घर
जिसमें कई खिडकियां थीं
और जगह हमारी सोच से ज्यादा
इतनी ज्यादा
कि दो जनों के बीच
अब जगह ही जगह थी

वहां सपने
हवा के साथ मिलकर
खाली जगह में
बवंडर की तरह मंडरा रहे थे

(जितेन्द्र श्रीवास्तव की कविता)

रेत में कलाकार

बालु के कण-कण साथ ले चलो उड जा हारिल की नाईं
सुबह हुई अब सपने छुटे उठ जा हरकारे की ठाई।

ठोक-पीटकर आकति दे दो बांधो नदी नाव की खाई
जग जीतो सब लहरें गिन कर लो तट को वश में साईं ।

मेरे हाथों में है ताकत बढो सजन पथ मान दो
तेरी मुट्ठी में दुनिया है बांधो हाथ विराम न दो ।

बालु गंगा का स्वरुप है गंगा क्या इतनी -सी ,पर है
बालु-बालु में प्रवाह को किसने धारा दी,जी भर है।

लोग रहेंगे आते-जाते तन भर तुझको देखेंगे
उठते-गिरते जो संभलेंगे मन भर तुमको भेटेंगे।

इस या उसकी बात नही है हर आकति में तेरा बल है
जो दुनिया से चलकर जाता तेरी नजरों की हलचल है

(श्रीप्रकाश शुक्ल की कविता)

गोधुलि

दुनिया की रंगत देख चुका वह युगल
धीरे-धीरे चल रहा है

गोधुलि बेला है

मांसपेशियां पहले का आकार छोड चुकी हैं
काले बाल रुई का आकार ले चुके हैं

न चाल में त्वरा ,न आवाज में वजन
वहीं बोल रहे हैं, वही सुन रहे हैं

चक्की के दो पाट हैं ये
चलते-चलते थक गये अब
अपने हिस्से का पुरा पिसान दे चुके हैं दुनिया को

मोटे को महीन बनाया
बहुत सुपाच्य

दोनों चल रहे हैं, हल्का सा फासला लिए
लगातार घिसने के बाद जैसे पाट ले लेते हैं

न ले, तो टकरा जाएं बार-बार
बीच में छुट गयी यह जगह
वह गलियारा है
जहां से हवा गुजरती है

और यादें भी...
(हरीशचन्द्र पांडॆ की कविता)

पीपल

कितना कूडा करता है आंगन में
मां को दिन में दो दो बार बोहारी फेरनी पडती है

कैसे-कैसे दोस्त यार आते हैं इसके
खाने को ये पिपलियां देता है
सारा दिन शाखों पे बैठे तोते ,घघू
आधा खाते ,आधा जाया करते हैं
गटक वटक सब आंगन ही में फेंक के जाते हैं

एक डाल पर ,चिडियों ने भी घर बांधे हैं
तिनके उडते रहते हैं दिन भर आंगन में
एक गिलहरी भोर से लेकर सांझ तलक
जाने क्या उजलत है
दौड-दौडकर दसियों बार ही सारी शाखें घूम आती है,
चील कभी ऊपर की डाली पर बैठी,बौराई सी
अपने आप से बातें करती रहती है

आस पडोस से झपटी ,लूटी ,हड्डी मांस की बोटी, भी कमबख्त ये कव्वे
पीपल ही की डाल पे बैठकर खाते हैं
हुश हुश करती है मां तो ये मांसखोर सब
काऐं काऐं उस पर फेंक के उड जाते हैं
फिर भी जाने क्युं मां कहती है : " ओ कागा...
मेरे श्राध्द पे आयो तू! अवश्य आयो! "

(गुलजार की कविता)

क्या जानते हो

क्या जानते हो
नदी मैं तैरते हुए सोचता हूं
पानी नदी के बारे में क्या जानता है
नदी से पूछता हूं
तुम पानी की हो या मेरी
नदी कोई जवाब नहीं देती
वह हवा की ओर इशारा करती है

धूप से आंखमिचौली खेलती हवा के बारे में
हम क्या जानते हैं
कोई किसी के बारे में क्या जानता है

एक स्त्री जो रोज चूल्हा जलाती है
आग के बारे में क्या जानती है

आग ही आग के बारे में क्या जानती है


मैं उदास हूं तो मित्र
तुम भी उदास हो जाते हो
मेरी उदासी में
किसकी हंसी शामिल है
तुम क्या जानते हो?

(हरे प्रकाश उपाध्याय की कविता)

चार राज्यों में विधानसभा चुनाव

नवंबर माह में राजस्थान ,दिल्ली ,मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ विधानसभाओं के चुनाव होने वाले हैं ,२००३ में हुए पिछले चुनावों में जहां राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,छतीसगढ में भाजपा की सरकार बनी थी वहीं दिल्ली में कांग्रेस को सफलता मिली थी । राजस्थान में वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली भाजपा ने सरकार बनाई थी और कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पडा था । जहां भाजपा अपनी सरकार की ऊपलब्धियां गिना रही है वही कांग्रेस, सरकार को सारे मोर्चों पर विफल बता रही है । हालांकि चुनावों से पहले दोनों पार्टियों में गुटबाजी का शिकार होना पड रहा है जहां भाजपा में टिकट वितरण में इतनी मारा मारी रही कि सारे प्रमुख नेता अपने करीबियों को टिकट देने का दबाव पार्टी आलाकमान पर लगाते रहे कुछ सफल रहे तो कुछ असफल परिणाम स्वरुप कई नेता अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ खडे हो गए हैं और तो और पार्टी सांसद विश्वेन्द्र सिंह ने तो पार्टी बदल कर कांग्रेस में शामिल हो गए । वैसे कांग्रेस में भी स्थित लगभग यही रही जहां अशोक गहलोत अपने करीबियों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलवाने में लगे रहे तो बी.डी कल्ला और सी पी जोशी भी अपने स्तर से लगे रहे । जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं दोनो पार्टियां धुआंधार प्रचार कर रही जहां भाजपा की कमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने संभाल रखी है वहीं कांग्रेस की कमान अशोक गहलोत और बी डी कल्ला के हाथों में है । अब यह तो चुनाव के दिन ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा ।

मध्य प्रदेश - यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में है हालांकि बहुजन समाज पार्टी एवं भारतीय जन शकित मुकाबले को बहुकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे है । जहां भाजपा ने फिर से शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया है वही कांग्रेस में असंमजस की स्थित है क्योंकि इस पद के कई दावेदार हैं जिनमें प्रमुख हैं सुरेश पचोरी ,कमलनाथ, दिग्विजय सिंह आदि पर टिकट वितरण से यह साबित हो रहा है कि सुरेश पचोरी इसमें आगे चल रहें हैं क्योंकि सबसे ज्यादा इन्ही के समर्थकों को टिकट मिला है । बसपा एव भाजस ने भी अपने प्रत्याशी लगभग सारे सीटों पर दिए हैं । यहां मतदान दो चरणों में होंगे यह तो अब समय ही बताएगा कि बाजी किसके हाथ लगती है ।

दिल्ली - यहां कांग्रेस की सरकार पिछले दस वर्षों से है और उसे सरकार विरोधी लहर का भी सामना करना पड रहा है और वही भाजपा सीलिंग ,मंहगाई और आतंकवाद जैसे मुद्दों से कांग्रेस को घेर रही है । जहां कांग्रेस यह दावा कर रही है कि उसने काफी विकास कार्य किए हैं वहीं भाजपा का आरोप है कि सरकार ने जनता के साथ १० साल तक धोखा करती रही । भाजपा से प्रो.विजय कुमार मल्होत्र मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस से एक बार फिर श्रीमती शीला दिक्षित इसके लिए प्रत्याशी हैं । दिल्ली में २९ नंवबर को वोट डाले जाएगें और इसी दिन ऊम्मीदवारों का भविष्य मतपेटी में बंद हो जाएगा ।

छत्तीसगढ- यह नक्सल प्रभावित राज्य है और ऐसा माना जा रहा है कि यहां पर मतदान करवाना जम्मु एवं कश्मीर से भी मुश्किल है इसी लिए यहां पर १०० कंपनियां अर्धसैनिक बलों कि लगाई गई है क्योंकि यहां पर नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार की घोषना कर रखी है । यहां पर भी एक बार फिर से कांग्रेस एवं भाजपा के बीच है जहां कांग्रेस की कमान पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हाथों में है तो दुसरी ओर भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने संभाल रखी है । यहां पर विधानसभा की कुल ९० सीटों के लिए मतदान होना है सभी मतदान केन्द्रों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यव्स्था की गई है ।

पेरियार छात्रावास

यह छात्रावास ज ने वि के एकदम मध्य भाग में है जो कि गोदवरी बस स्टाप से २ मिनट की दूरी पर है । यहां स्नातक से लेकर पी एचडी तक के लगभग ३२५ छात्र रहतें हैं ,यहां पर छात्रों के लिए एक अत्याधुनिक जिम, टी.वी रुम, भोजनालय ,वाचनालय एवं बैडमिंटन कोर्ट की सुविधा है । पेरियार छात्रावास के संचालन के लिए ४ वार्डन हैं,के डा रजनीश मिश्र यहां के वरिष्ठ वार्डन हैं । यहां का वातावरण बहुत ही अच्छा है प्रत्येक वर्ष इस छात्रावास के छात्र संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में काफी संख्या में चयनित होते हैं । यहां के भोजनालय का खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट बनता है जिसका स्वाद लेने के लिए बाहर के लोग भी आते हैं । इसके परिसर में एक बहुत ही अच्छा बगीचा है जहां तरह तरह के पुष्प लगे हुए हैं । यहां का होस्टल नाइट पुरे ज ने वि में प्रसिद्ध है जो कि दो दिनों तक चलता है पहले दिन जहां "रीजनल नाइट " का आयोजन होता है वहीं दूसरे दिन "पेरियार स्पेशल" आयोजित होता है जिसमें छात्रावास के ही छात्र भाग लेते हैं । पेरियार के पास नीलगिरि कैन्टीन है जिसमें सांयकाल छात्र चाय नाश्ते का आनंद लेते हैं और इसी के पास भारतीय स्टेट बैंक की शाखा और ए.टी.एम है ।

मेरा शहर छपरा

छपरा बिहार राज्य के सारण प्रमंडल एवं जिले का मुख्यालय शहर है जो कि गंगा और घाघरा नदी के संगम पर स्थित है । प्राचीन काल में यह कोसल राज्य का भाग हुआ करता था ,इसका ऊल्लेख हमें अबुल फजल लिखित आइने अकबरी में भी मिलता है जो कि उस समय बिहार राज्य के ६ राजस्व जिलों में एक था .। छपरा का काफ़ी पुराना इतिहास रहा है महर्षि दधिचि का आश्रम यहीं पर अवस्थित था जिन्होंने व्रज बनाने के लिए अपनी अस्थियां देवताओं को दान कर दी थी । महर्षि गौतम का आश्रम भी यहां से आठ किलोमीटर दूर पर स्थित है जहां भगवान श्री राम चंद्र जी अहिल्या को श्रापमुक्त किया था । भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटकार भिखारी ठाकुर का जन्म भी यहीं हुआ था । छपरा भारत के हरेक कोने से रेलमार्ग से जुडा हुआ है साथ ही साथ यह बिहार की राजधानी पटना से मात्र ७० किमी की दूरी पर है ,शहर के मध्य से राष्ट्रीय राजमार्ग १९ गुजरता है । एशिया का सबसे बडा पशु मेला छपरा के पास स्थित सोनपुर में लगता है जिसमे देश विदेश के पर्यटक आते हैं ।
छपरा शहर में शिक्षा की समुचित व्यवस्था है स्कुली शिक्षा के लिए निजी एवं सरकारी दोनों प्रकार के विद्यालय मौजुद हैं सारण सेंन्ट्रल स्कूल , भागवत विद्यापीठ ,होली मिशन स्कुल जिला स्कुल आदि जिनमें प्रमुख हैं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद इसी जिला स्कुल के छात्र थे जहां उन्होंने पहली बार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था ।
ऊच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां जयप्रकाश विश्वविद्यालय है जिसके अन्तर्गत सारण ,सीवान एवं गोपालगंज जिलों के ४२ महाविद्यालय आते हैं जिसमे १२ सिर्फ छपरा शहर में स्थित है । इन सबों में राजेन्द्र महाविद्यालय सबसे प्रतिष्ठत है यहां पर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का भी संचालन किया जाता है |
पर्यटन स्थल
आमी - यह छपरा से २० किमी की दुरी पर है ऐसी मान्यता है राजा दक्ष प्रजापति ने यहीं पर यझ करवाया था जिसमें ऊन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नही किया इससे सती नाराज हो गई और यझ कुंड में कुद गई जब यह बात भगवान शिव को मालूम चली तो ऊन्होंने सती के शरीर को अपने कंधे पर रख कर तांडव करने लगे और सती का धर यही आमी में गिरा और जहां जहां ऊनके अन्य अंग गिरे वो शक्तिपीठ हो गए । इसका ऊल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है ।
सोनपुर - यहां एशिया का सबसे बडा पशु मेला लगता है जिसमें देश विदेश से पर्यटक आते हैं जो कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है ।
प्रसिद्ध हस्ती - ब्रजकिशोर प्रसाद (डा राजेन्द्र प्रसाद के राजनीतिक गुरु) मजहरुल हक ,महापंडित राहूल सांक्रित्यायन, प्रसिद्ध संगीतकार जोडी आनंद-मिलिंद, प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र, सबिता सिंह ( पहली दक्षिण एशियाई डिस्ट्रिक्ट जज मैसाचुसेट्स संयुक्त राज्य अमेरिका )

स्पेनी भाषा

स्पेनी भाषा विश्व के २२ देशों के आधिकारिक भाषा है जिसमें कि युरोप से लेकर लैटिन अमेरिका के देश शामिल है ,संयुक्त राज्य अमेरिका एवं फिलिपींस की यह दूसरी आधिकारिक भाषा में शामिल है साथ ही साथ यह संयुक्त राष्ट्र की पांच आधिकारिक भाषाओं में एक है जो कि इसकी महत्ता को दर्शाता है . स्पेनी भाषा के समुचित प्रचार एवं प्रसार के लिए स्पेन सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन एक संस्था काम करती है जिसका नाम है इन्सतीतो सेरवांतेस ,इस संस्था के विश्व के कई देशों में शाखाएं है जो कि स्पेनी भाषा के पाठ्यक्र्म चलाता है । भारत में इसकी शाखा नई दिल्ली में स्थित है । स्पेनी भाषा का साहित्य बहूत ही विकसित है, मिगेल दे सेरवांतेस द्वारा लिखी गई डान किखोते नामक किताब की अनुवाद तो दुनिया के हर भाषा में हो चुका है इसके अलावा पाबलो नेरुदा ,दामोसो आलोंसो जैसे प्रसिद्ध साहित्यकार भी इसी भाषा की देन है ।

वर्तमान में हम भुमंडलीकरण के युग में जी रहे हैं जहां सारा विश्व एक गांव की तरह हो गया है और हमें विश्व के हरेक देशों के बारें में जानकारी होनी चाहिए वैसे भी हम जानते हैं कि स्पेनी भाषा बोलने वालों की संख्या करोडों में है । हमारा भारत वर्ष तो सुचना प्रौद्योगिकी एवं आउट्सोर्सिंग के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी स्थान रखता है और बडी बडी कंपनियां भारत में अपना कार्य स्थानांतरित कर रही जिसमें भारतीयों कंपनियों को काफी मात्रा में भाषा विशेषझों की आवश्यकता होती है चुकि स्पेनी भाषा बोलने वालों की संख्या कडोरों में है इसलिय करियर के हिसाब से यह एक ऊत्तम विकल्प में से एक है । एक रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में २०२० तक स्पेनी भाषा बोलने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का २५ % हो जाएगी वहां के कैलिफोर्निया टैक्सास, अराकांसास एवं न्यु मैक्सिको जैसे राज्यों इनकी बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है ।

भारत में यह भाषा स्नातक से लेकर पी.एचडी तक पढाई जाती है जिन विश्वविद्यालयों में यह पाठ्यक्रम है उनमें प्रमुख है जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और अंग्रजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय हैदराबाद यहां के छात्रों को पढाई पुरी करते करते ही बडी बडी कंपनियों मे नौकरियां मिल जाती है जिनमें मुख्य है ओरेकल ,एच पी ,विप्रो, टी सी एस, इंफोसिस, अमेरिकन एक्सप्रेस । इसके अलावा शोध के भी काफी अवसर र हैं । चुंकि यह संयुक्त राज्य की पांच आधिकारिक भाषाओं में शामिल है अतः यह क्षेत्र भी संभावनाओं से परिपूर्ण है

Friday, November 14, 2008

स्पेनी पुर्तगाली इतालवी एवं लातीनी अमेरिकाई अध्ययन संस्थान

यह केन्द्र भाषा संस्थान का सबसे सक्रिय केन्द्र माना जाता है । डा अपराजित चट्टोपाध्याय इस केन्द्र के अध्यक्ष हैं वैसे इस केन्द्र में कुल ९ प्राध्यापक हैं जो कि अपने अपने क्षेत्र में दक्ष हैं । यहां स्नातक से लेकर पी एचडी तक शिक्षण कार्य होता है । यह केन्द्र स्पेनी भाषा एवं लातीनी अमेरिकाई अध्ययन के शिक्षण एवं शोध कार्य के लिए न केवल भारत में बल्कि विश्व में भी इसकी अलग पहचान है इस केन्द्र का स्पेन तथा दूसरे अन्य लातीनी अमेरिकाई विश्र्वविद्यालयों के साथ शैक्षणिक गठबंधन हैं । भविष्य में यहाँ पुर्तगाली एवं इतालवी भाषाओं में भी डिग्री कार्यक्रम आरंभ करने का प्रस्ताव विचाराधीन है । यहां के छात्र आज कई बड़े संस्थानों में ऊच्च पदों पर कार्यरत हैं ,यहां के छात्र पढाई के साथ साथ अन्य क्रियाकलापों में भी आगे रहतें हैं । यहां प्रतिवर्ष हिस्पानिक होरिजोन नामक वार्षिक पत्रिका निकलती है.

भाषा साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान

यह ज ने वि का सबसे विशालतम संस्थान है यहां पर स्नातक से लेकर पी एचडी तक लगभग १५०० छात्र अध्ययनरत हैं । यहां पर १० विदेशी भाषाएं स्पेनी, जर्मन, फ्रांसीसी, चीनी, जापानी, कोरियाई, फारसी, रुसी, अरबी एवं अंग्रेजी तथा दो भारतीय भाषाएं हिंदी और ऊर्दू की पढाई होती है जिसके लिए ११ केन्द्र बनाएं गए हैं ।

१) स्पेनी पुर्तगाली इतालवी एवं लैटिन अमेरिकाई अध्ययन केन्द्र

२) फ्रांसीसी एवं फ्रेकोंफोन अध्ययन केन्द्र

३) जर्मन अध्ययन केन्द्र

४) रुसी अध्ययन केन्द्र

५) चीनी एवं दक्षिन पूर्वी एशियाई अध्ययन केन्द्र

६) जापानी कोरियाई एवं ऊत्तर पूर्वी एशियाई अध्ययन केन्द्र

७) अरबी एवं अफ्रीकाई अध्ययन केन्द्र

८) फारसी एवं मध्य एशियाई अध्ययन केन्द्र

९) अंग्रेजी अध्ययन केन्द्र

१०) भाषाशास्त्र केन्द्र

११) भारतीय भाषा केन्द्र

प्रत्येक वर्ष यहां अगस्त के महीने में कल्लोल नामक एक वार्षिक ऊत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें अंतर केन्द्र स्तर पर खेल कूद तथा सांस्कतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें बडी संख्या में भाग लेते हैं । यहां का शिक्षण का स्तर बहुत ही ऊंचा है तथा यहां का भाषा प्रयोगशाला तो एशिया स्तर का है । विदेशी भाषा के छात्रों कों तो पाठ्यक्रम पूरा करते एचपी ओरेकल जैसे बहूराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी मिल जाती है ।

Friday, September 19, 2008

जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय

जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय
जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय भारत वर्ष की राजधानी नई दिल्ली में अवस्थित है .यह दिल्ली के दक्षिण भाग में है जो की दिल्ली विमानपत्तन से मात्र १५ मिनट की दूरी पर है। इसकी स्थापना १९६६ में संसद के एक अधिनियम के तहत हुआ है और १९६९ में डॉ जी पार्थसारथी यहाँ के पहले कुलपति बने वर्तमान में डॉ बी बी भट्टाचार्य यहाँ के कुलपति हैं और प्रो यशपाल यहाँ के कुलाधिपति हैं ,हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ के आर नारायण यहाँ के कुलपति रह चुके हैं और हमारे वर्त्तमान उपराष्ट्रपति डॉ हामिद अंसारी यहाँ पर अन्तराष्ट्रीय अध्ययन केन्द्र में प्र्रध्यापक रह चुके हैं । ज.ने .वि का परिसर अरावली पर्वत श्रंखला पर अवस्थित है और यह १००० एकड़ में फैला हुआ है जो की प्राकृतिक मनोरम से परिपूर्ण है । एक रोचक तथ्य यह भी है की यहाँ पर नव पाषाण काल के कुछ अवशेष मिले हैं। ज.ने .वि को चार भागों में बांटा गया है उत्तराखंड दक्शीनापुरम पश्चिमाबाद और पूर्वांचल और इसके दो प्रवेश द्वार हैं एक उत्तरी द्वार और दूसरा पूर्वी द्वार पर जहाँ उत्तरी द्वार मुनिरका विहार के पास खुलता है वहीं पूर्वी द्वार अरुणा आसफ अली मार्ग पर । ज .ने.वि में ६१५ नंबर की बस सेवा है जो की पूर्वांचल होस्टल से मिन्टो रोड तक चलती है । इस विश्विद्यालय में कुल १३ संकाय हैं